चलो वक्त से शर्त लगाते है..

फिर और कभी कर लेना पूरी
नींद जो रह गई अधूरी
अक्सर वो पीछे रह जाता है
जिसे सूरज रोज जगाता है
इससे पहले सूरज जगाए
चलो सूरज को आज जगाते है
चलो वक्त से शर्त लगाते है..

ये लक्ष्य नही आसान इतना
इसमें कठिनाई बड़ी है
उठ जा प्यारे छोड़ बिस्तर
अब परीक्षा की घड़ी है
सोच को उड़ान देकर
चलो पंछी बन उड़ जाते है
चलो वक्त से शर्त लगाते है..

मत सोच किनारा क्या होगा
उसपार नज़ारा क्या होगा
अब रुक गया तो डूब जाएगा
अपनी मंजिल चूक जाएगा
बस तैरते रहना है तुुझे
संग सागर को तैराते है
चलो वक्त से शर्त लगाते है..

तोड़ दे वो सारे बंधन
जिसमें जकड़ा है तेरा मन
भूल जा इतिहास अपना
लग जा पूरा करने सपना
हालातों पर ना झुकने वाले
ही अंबर को झुकाते है
चलो वक्त से शर्त लगाते है..

©Kartik Mishra 2019
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