कुछ याद रहा, कुछ भूल गए..

जीवन पथ पर चलते चलते
एहसान रहा उनका हम पर
क्या तुमने किया वो याद रहा,
क्या हमने किया वो भूल गए..
कुछ याद रहा, कुछ भूल गए..

एहसान फरामोशों का यहां
हर बार यही दस्तूर रहा
जब काम पड़ा तब याद किया,
जब स्वार्थ ख़त्म तब भूल गए..
कुछ याद रहा, कुछ भूल गए..

वो गर्व-घमंड-अभिमान की
ऊंचाई पर जा कर बैठे है
ऊपर चढ़ना तो याद रहा
पर नीचे उतरना भूल गए..
कुछ याद रहा, कुछ भूल गए..

कुछ बात किताबों से सीखी,
कुछ बात ज़िंदगी सीखा गई
मत याद करो जिन्हें याद नही
जाओ भूल उन्हें जो भूल गए..
कुछ याद रहा, कुछ भूल गए..

खुद के लिए उनसे लड़कर
हम खुद से लड़ना सीख गए
वो अपनी सीमा लांघ गए,
हम अपनी ख्वाहिश भूल गए..
कुछ याद रहा, कुछ भूल गए..

© Kartik Mishra 2018

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