सबसे पहले आप सभी का मेरे इस साईट पर हार्दिक स्वागत करता हूँ। वैसे तो मुझे कविता लिखने का कोई शौक नही था, पर एक दिन मेरे आँखों के सामने हुए हादसे ने मेरे अंदर के कवी को जगा दिया। मेरे मन से शब्द अपने आप निकलते गए और मैं उन्हें कविता में ढालता गया।
उस दिन मेरे क्लास में मैथ्स का लेक्चर चल रहा था, पूरा शांति का वातावरण था। तभी अचानक एक चिड़िया उड़कर दरवाजे से क्लासरूम में आ गई, शायद अपने झुंड से बिछड़ गई हो। भीतर आ जाने के बाद वह बाहर जाना चाहती थी, पर जा नही पा रही थी। दरवाजा खुला रहने के बावजूद वह खिड़कियों से बाहर जाने की कोशिश कर रही थी। खिड़कियों में पारदर्शी कांच लगा होने के कारण चिड़िया को वह खिड़की खुली हुई प्रतीत हो रही थी। वह चिड़िया बारबार उन खिड़कियों से जा टकराती,पर हमेशा असफल हो जाती। इतनी असफलता और कोशिशों के बावजूद उसे बाहर जाने का रास्ता मिल नही पाया और अंत में उसकी बेहद दर्दनाक मृत्यु हो गई। क्लासरूम के पंखे से कटकर उसके टुकड़े टुकड़े हो गए। इस घटना ने मुझे काफी हिला कर रख दिया और जो कुछ मैंने लिखा वो आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ..
वह तड़पती रही,फड़फड़ाती रही,
आजादी के लिए कोशिशें करती गई,
बाहर की दुनिया उसे खिंचती रही,
और वो नादान बस चींखती रही।
ऐसा क्या था उस दुनिया में,
जो इस दुनिया में न था?
शायद चारदीवारी में रहना,
उसके खून में न था।
की लाख कोशिशें लाख मिन्नतें,
पर फिर भी निकल न पाई।
लेकिन हिम्मत नही हारी,
हर खिड़की से जा टकराई।
इस बात का उसको ख़ौफ़ न था
कि जान चली जाएगी।
जिंदगी के सच्चाई से बेखबर
वह अंजान चली जाएगी।
उसको क्या पता था अंत इतना
भयानक और दर्दभरा होगा
चंद मिनटों में सिमट जाएगी जिंदगी
उसने ये सोचा भी न होगा।
हम चाह कर भी उसे
आज़ाद कर न सके।
उसकी मौत का तमाशा देखते रहे,
उसपर रहम कर न सके।
थी चाह उसकी आज़ादी की,
इस दुनिया से इस मोह से।
पर अब वह आज़ाद हो चुकी थी,
अपने शरीर से, अपनी रूह से।
जाते जाते वह ‘चिड़िया’
बहुत कुछ सीखा गई।
मरते दम तक कोशिशें करना है,
ये बिन कुछ बोले, समझा गई।
मुझे उम्मीद ही नही बल्कि पूरा विश्वास हैं की मेरी यह पहली कविता आपको जरूर पसन्द आएगी। आपकी प्रतिक्रिया एवं सुझावों का हार्दिक स्वागत हैं। धन्यवाद।
-कार्तिक मिश्रा
Bhai jis wakht ye hadsa huwa tab me bhi waha moujud tha. Or mere yar
Or tune jis tarah is hadse ko kavita me pesh kiya h ..
Ma kasam ,
Rula diya yar tune…
I love you my friend.
I miss you
LikeLiked by 1 person
Thank you brother 😘
LikeLike
* Will my fertility? *
* For this question, I do not know *
* 👉 Sun “is beginning to sink myself, *
But he never perish … !! * *
* So *
* 👉 “ray of hope, faith and hard work *
* This is the nearest. It can not be never fails “!!! *
* ✍ brave man not afraid! * * And *
* Phobe who does not dare .. *
* Do not get one without having to venture into the world of success. *
LikeLiked by 1 person
👍
LikeLike
Heart touching bro..👍
LikeLiked by 1 person
शुक्रिया 😊
LikeLiked by 1 person
Aapka swagat hai..☺✌
LikeLiked by 1 person
What a poems kartik
LikeLiked by 1 person
Thank you !😊
LikeLike